Friday, February 13, 2009

मेरी प्यारी बिल्ली का सुभाव

अभी मुझे मेरी बिल्ली को अपनाने में बस एक हफ्ता हुआ है. एस एक हफ्ते में मुझे थोड़ा अंदाजा आया है कि मेरी बिल्ली कि सुभाव कैसा है. मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी बिल्ली, दस्ठी, का सुभाव बहुत अच्छा है. मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूँ क्योंकि मुझे इस बिल्ली मिली. दस्ठी बहुत शांत सुभाव की है और बहुत स्नेह देती है. मुझे पहली दिन आश्चर्य हुआ कि वह कितना स्नेह दी क्योंकि ज्यादातर नई बिल्लियाँ बहुत डरती है जब उनकी परिस्थिति बदलती है. उस दिन शाम को दस्ठी मेरे पास "सोफा" पर आई और सोयी. शायद उसको बहुत खुशी हुई कि उसे अब शेल्टर मैं नहीं रहेना पडेगा? शुन्निवर को, जब मैंने एक दो दोस्तों को मेरे घर बुलाया, मेरी बिल्ली फिर शर्मिये नहीं! रविवार को मैंने फिर दोस्तों को बुलाया. मेरे पति ने कहा कि दस्ठी आज ज़रूर शर्मिगी क्योंकि तीन लोग एक साथ आने वाले थे. लेकिन मेरे पति गलत थे; दस्ठी बिल्कुल नहीं शर्मिये और मेरे दोस्तों के साथ भी बहुत खेली! मेरे बिल्ली को ध्यान अच्छा लगता है, और ये बहुत अच्छा है क्योंकि मुझे उसे ध्यान देने मैं बहुत मज़ा आता है!

मेरी प्यारी बिल्ली बेटी

मैंने अभी अभी एक बिल्ली को अपनाया है. अभी एक हफ्ता हो गया है मुझे उसको अपनाने में. वह सच मुच बहुत प्यारी है. बेचारी शेल्टर में दो महीने रही थी. में सोच रही हूँ कि कोई उसे अपनाया नहीं क्योंकि उसका उम्र तोड़ा ज़्यादा है: वह अभी चाह सल् की है, और शायद दुसरे लोगों को लगा कि वह अब इतनी प्यारी नहीं है जैसे सीएम उम्र की बिल्लियाँ होती है. और ये बात भी है कि मेरी बिल्ली को दुसरे बिल्लियाँ और खास तोर पर, कुत्तों को बिल्कुल अच्छे नहीं लगते. शायद जो लोग शेल्टर में आ रहे थे उन्हें एक और जानवर अपनाने के चाह थी? वे शायद सोच रहे थे कि मैं एक ऐसी बिल्ली को क्यों अपनाऊँ जिसको दुसरे बिल्लियाँ और कुत्तों के साथ ठीक से नही रहे पायेगी? लेकिन ये जिद मेरी लिए बहुत अच्छी है क्योंकि मुझे और बिल्लियाँ ज़रूर नहीं चाहिए. हाँ, मुझे कुत्तों से बहुत संह है, लेकिन मुझे एक कुत्ते को अपनाने में अभी बहुत देर है. कुत्ते के लिए आपको एक बड़ा घर, एक अच्छा-सा आगन, और खास थोर पर, बहुत समय चाहिए कुत्ते को सिखाने के लिए. अभी मेरी परिसिथितियों के लिए एक बिल्ली रखना सब से उचित है.

Thursday, January 29, 2009

बिल्ली या कुत्ता?

जब मैं "जानवरों की शेल्टर" में थी मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे जानवरों को बहुत बहुत शोक है. जब में छोटी थी तब मेरे पास एक कुत्ता था जिसका नाम "निक्की" था. मुझे एक जानवर दोस्त होने में बहुत समय बीतगया है, लग-भग दस साल. जब में "शेल्टर" में थी तब मैंने बहुत सारे कुत्तों और बिल्लियों को देखा. मेरा मन है एक कुत्ते लेने के लिए लेकिन मुझे लगता है कि मेरा पास इतना समय नहीं है एक कुत्ते के लिए; मुझे समय नहीं होगा उसको बहार लेने के लिए हर सुबह और हर शाम. और क्योंकि में मंगलवार और गुरुवार को बहुत व्यस्त रहती हूँ, कुत्ते के लिए कोई घर पर नहीं होगा. मैं सोचरी हूँ एक बिल्ली लेने के लिए क्योंकि बिल्लियॉ अपने देख-बाल बहुत करती हैं. वे पेसाब एक डिब्बे की अंदर करते है, और इसीलिए बहार जाने के लिए कोई ज़रूरी नहीं पड़ती हैं. वे ज़्यादा शोर भी नहीं मचाते हैं. इसीलिए मैं बहुत सोचरी हूँ कि मेरे लिए एक बिल्ली लेना अच्छा होगा.

जानवरों की शेल्टर

मुझे एक बिल्ली लेने की बहुत इच्छा है. आज कल मुझे बहुत अकेलापन महसूस होने लगा है और में बहुत सोचरी हूँ की मैं एक चोटी-सी बिल्ली अपना लूँ. मैंने पिछले रविवार को एक जानवरों की "शेल्टर" में गई, जहाँ बिल्लियॉ, कुत्ते, और कई जानवरों आते है जब वे खो जाते हैं, उनके मालिकों उनको उनके देख-भाल और नही कर सकते, agar वे आवारा जानवरों है, वग़ैरह, वग़ैरह. मैं वह गई थी क्योंकि वह बात होरी थी उन लोगों के लिए जो वह मदद करना कहते हैं. वह बहुत सरे लोग थे; मुझे वहां खड़ा होना हुआ क्योंकि बैठने की जगह नहीं थी. वहां एक औरत ने सब लोगों को बताया कि क्या क्या काम हम लोग कर सकते है. एक काम है कुत्तों को घुमाना, एक थी बिल्लियॉ को स्नेह देना, वग़ैरह वग़ैरह. एक कम ये भी थी कि आप अपने घर में एक कुत्ते या बिल्ली को तोड़ी देर के लिए अपने घर में रखे, ताकि उस जानवर को "शेल्टर" से तोड़ा-सा चैन मिले.

Tuesday, December 9, 2008

मेरी दोस्त जीना

मैं अभी बहुत हैरान हो गयी हूँ क्योंकि मुझे अभी अभी ख़बर आई है कि मेरी बचपन की सहेली, जीना, का शादी होने वाली है. कल रात को जीना ने मुझे तस्वीर भेजी उसकी "एन्गागेमेंट पार्टी" की. मुझे ये मालूम भी नही था कि उसकी मंगेतर है! जब जीना मेरी शादी में आई थी, तब उसने अपनी माँ अपने साथ लायी. लेकिन अब, अचानक, उसका मंगेतर है! मुझे ये लगता है कि ये जोड़ी उसकी माँ- बाप ने तय किया है. जीना की माता- पिता इराक के है और इसीलिए शायद वे अपने परम्परा से जीना की शादी करना चाहते है. सच बोलुं तो मुझे ये सब अच्छा नही लगता. जीना को अपने मर्जी से शादी करना चाहिए. हां, ये बात है की जीना तस्वीरों में खुश लग रही थी, लेकिन फिर भी, मुझे शक है. क्या इतने जल्दी में-- बस चार महीने --- एक लड़का - लडकी एक दूसरे को अच्छे से जान सकते है? और इस कम समय में शादी करना का गंभीर निर्णय ले सकते है? मेरे लिए इन दोनों प्रश्नों की उतर हरगिज़ नहीं है. इसलिए मैं अपने सहेली जीना के लिए बहुत चिंतित हूँ. मैं व्याकुल हूँ उससे मिलने के लिए. मैं उम्मीद करती हूँ कि अगले हफ्ते मैं उससे मिल पाऊँगी.

में बहुत व्याकुल हूँ

आज कल मैं बहुत व्याकुल हूँ कि इस "सेमेस्टर" जल्दी खत्म हो जाए. मुझे बहुत थकान हो गयी है. मैं बस आराम करना चाहती हूँ और बहुत फिल्मो और "टी. वी." प्रोग्राम देखना चाहती हूँ. ये सब मेरे लिए बहुत आवशयक हो गया है. मैं इस पूरे साल बस काम करती रही हूँ. अगर मुझे ये "ब्रेक" न मिल रही होती, तो पता नहीं क्या मेरा हाल हो जाता! मुझे यकीन है कि इस ब्रेक के बाद मैं पूरा “रिफ्रेश" हो जाउंगी और फिर काम करना मेरे लिए आसन हो जाएगा. लेकिन अब मैं तो बहुत थक गयी हूँ और अगले बुधवार के लिए बहुत इंतज़ार कर रही हूँ!

Tuesday, December 2, 2008

ट्रेन टु पाकिस्तान

मैं इस शुक्रवार को एक "प्रेजेंटेशन" दूंगी मेरे अंग्रेज़ी कक्षा में. इस कक्षा "ट्रौमा" के बारे में है. हम सुब कई तरह की दुर्घटनाए के बारे में बात किया है--हिरोशिमा की दो बम, कम्बोडिया में हिंसा और "जेनोसाइड" वगिरह, वगिरह. मैं इस शुक्रवार को भारत के विभाजन के बारे में बात करुँगी. खास तोर पर, मैं एक किताब पर बात करुँगी जो विभाजन के बारे में है-- लेखक खुशवंत सिंग का किताब, "ट्रेन टु पाकिस्तान." मैं दिकौंगी कि सिंग कैसे एक गाव का बदलाव देकाते है विभाजन के समय में. सिंग देकाते है कि लोग कैसे धेरे धेरे से बदलते है जब हिंसा बद जाती है, लोगों के पास विकुल्प कम हो जाती है, और लोग बहुत डरने लगते हैं। मैं दिकौंगी कि "ट्रौमा" लोगों पर कैसे गंभीर असर कर सकता है. ये किताब मुझे बहुत पसंद है, और मैं उम्मीद करती हूँ की मेरा "प्रेजेंटेशन" अच्छा होगा और दुसरे छात्र कुछ सिकेंगे.