Tuesday, December 9, 2008

मेरी दोस्त जीना

मैं अभी बहुत हैरान हो गयी हूँ क्योंकि मुझे अभी अभी ख़बर आई है कि मेरी बचपन की सहेली, जीना, का शादी होने वाली है. कल रात को जीना ने मुझे तस्वीर भेजी उसकी "एन्गागेमेंट पार्टी" की. मुझे ये मालूम भी नही था कि उसकी मंगेतर है! जब जीना मेरी शादी में आई थी, तब उसने अपनी माँ अपने साथ लायी. लेकिन अब, अचानक, उसका मंगेतर है! मुझे ये लगता है कि ये जोड़ी उसकी माँ- बाप ने तय किया है. जीना की माता- पिता इराक के है और इसीलिए शायद वे अपने परम्परा से जीना की शादी करना चाहते है. सच बोलुं तो मुझे ये सब अच्छा नही लगता. जीना को अपने मर्जी से शादी करना चाहिए. हां, ये बात है की जीना तस्वीरों में खुश लग रही थी, लेकिन फिर भी, मुझे शक है. क्या इतने जल्दी में-- बस चार महीने --- एक लड़का - लडकी एक दूसरे को अच्छे से जान सकते है? और इस कम समय में शादी करना का गंभीर निर्णय ले सकते है? मेरे लिए इन दोनों प्रश्नों की उतर हरगिज़ नहीं है. इसलिए मैं अपने सहेली जीना के लिए बहुत चिंतित हूँ. मैं व्याकुल हूँ उससे मिलने के लिए. मैं उम्मीद करती हूँ कि अगले हफ्ते मैं उससे मिल पाऊँगी.

में बहुत व्याकुल हूँ

आज कल मैं बहुत व्याकुल हूँ कि इस "सेमेस्टर" जल्दी खत्म हो जाए. मुझे बहुत थकान हो गयी है. मैं बस आराम करना चाहती हूँ और बहुत फिल्मो और "टी. वी." प्रोग्राम देखना चाहती हूँ. ये सब मेरे लिए बहुत आवशयक हो गया है. मैं इस पूरे साल बस काम करती रही हूँ. अगर मुझे ये "ब्रेक" न मिल रही होती, तो पता नहीं क्या मेरा हाल हो जाता! मुझे यकीन है कि इस ब्रेक के बाद मैं पूरा “रिफ्रेश" हो जाउंगी और फिर काम करना मेरे लिए आसन हो जाएगा. लेकिन अब मैं तो बहुत थक गयी हूँ और अगले बुधवार के लिए बहुत इंतज़ार कर रही हूँ!

Tuesday, December 2, 2008

ट्रेन टु पाकिस्तान

मैं इस शुक्रवार को एक "प्रेजेंटेशन" दूंगी मेरे अंग्रेज़ी कक्षा में. इस कक्षा "ट्रौमा" के बारे में है. हम सुब कई तरह की दुर्घटनाए के बारे में बात किया है--हिरोशिमा की दो बम, कम्बोडिया में हिंसा और "जेनोसाइड" वगिरह, वगिरह. मैं इस शुक्रवार को भारत के विभाजन के बारे में बात करुँगी. खास तोर पर, मैं एक किताब पर बात करुँगी जो विभाजन के बारे में है-- लेखक खुशवंत सिंग का किताब, "ट्रेन टु पाकिस्तान." मैं दिकौंगी कि सिंग कैसे एक गाव का बदलाव देकाते है विभाजन के समय में. सिंग देकाते है कि लोग कैसे धेरे धेरे से बदलते है जब हिंसा बद जाती है, लोगों के पास विकुल्प कम हो जाती है, और लोग बहुत डरने लगते हैं। मैं दिकौंगी कि "ट्रौमा" लोगों पर कैसे गंभीर असर कर सकता है. ये किताब मुझे बहुत पसंद है, और मैं उम्मीद करती हूँ की मेरा "प्रेजेंटेशन" अच्छा होगा और दुसरे छात्र कुछ सिकेंगे.

Monday, December 1, 2008

मुंबई पर हमला

मुझे बहुत दुःख होता है जब भी मैं मुंबई की हमला के बारे में सोचती हूँ । मुझे बहुत गुस्सा आता है कि मुंबई पुलिस को कितना समय लगा जगह सुरक्षित करने में। लगता है कि पुलिस को भी ये मालूम नहीं था कि क्या होरा है और कहाँ। ये दुःख की बात है कि उस जगह को सुरक्षित करने में बहुत समय लगा। और भी दुःख की बात है कि कितना मासूम लोग मारे गए। कैसी दुनिया है कि लोग निर्दोष लोगों पर हिंसा करते रहते हैं? मुझे क्रोध आता है इस बात पर भी कि मैं कुछ भी कर नहीं सकती हूँ। में भल्ला यहाँ अम्रीका में क्या कर सकती हूँ? बस प्रार्थना कर सकती हूँ कि ऐसा हमला फिर कभी न हो.

"फ्रिएंड्स" टी.वी प्रोग्राम

आज कल मैं एक टी.वी प्रोग्राम देख रही हूँ जो बहुत पुराना है लेकिन मुझे अभी अभी पसंद आया है; उसका नाम "फ्रिएंड्स" है. ये प्रोग्राम 1994 में शुरू हुआ था जब मैं बस तेरा साल की थी. उस समय मुझे "फ्रिएंड्स" नहीं पसंद आया क्योंकि मैं कम उम्र की थी. लेकिन आज कल मुझे ये प्रोग्राम बहुत अच्छा लगने लगा है. एस प्रोग्राम की कहानी बहुत दिलचस्पी हैं और बहुत मनोरंजक. आज कल, अगर मेरे पास समय होता है, तो मैं बस यही प्रोग्राम देखना चाहती हूँ. मुझे अच्छा लगता है कि मुझे पूरा कहानी मालूम नहीं है; तो जब मैं देखती हूँ, मेरे लिए एक नय अनुभव होता है. मैं उम्मीद रखती हूँ कि ये प्रोग्राम एक दीन एक फ़िल्म बन जाए; मैं उस दिन बहुत खुश हूँगी!

में वापस आ गायी हूँ

मुझे दुःख है कि मैंने बहुत दिनों से "पोस्ट" नहीं किया है. सच बोलूं तो मुझे अभी बहुत बहुत काम है. पिछले हफ्ते "थान्क्स्गिविंग" थी और मेरी पति आया हुआ था. हम दोनों ने थोड़ा थोड़ा खाना बनाया, सफाई की, और फिर अपने दोस्तों को अपने घर बुलाया. फिर हम चारो ने "थान्क्स्गिविंग" साथ साथ मनाया. हम लोगों ने तुर्की, आलू, सब्जी, और कई तरह की चीज़ें खाई. हम लोगो ने भर पेट खाया, और बहुत बाते की. लग-भग नौ बजे मेरे दोस्तों निकल गाए. शुक्रवार को मैं और मेरे पति ने बहुत सोये. पता नहीं क्यों? हम दोनों रात में बहार गाए खाने के लिए. शनिवार को मुझे बहुत दुःख हुआ क्योंकि मेरे पति का जाने का समय आ गया था.