Tuesday, October 28, 2008

आज दिवाली हें

आज एक बहुत मत्त्वपूर्ण दिन हें-- आज दिवाली हें। आज सब हिंदू लोग अपने अपने परिवार और दोस्तों को "शुभ दिवाली" कहते हें और साथ में मानते भी हेँ। दिवाली मानाने की लिए कई तरह होती हें। लोग एक दुसरे को तोहफा देते हें, भगवन राम की पूजा करते हें, नए कपड़े पहेंते हें, वागिरह, वागिरह। और एक बात और, लोग दिवाली कि दिन माँस नहीं खाते हेँ । मुझे लगता हेँ माँस इसीलिए नहीं खाया जाता हेँ क्योकि अपने शरीर साफ रकना चाहिए जब शुभ दिन दोती हेँ, और माँस को साफ और सुद्ध नहीं माना जाता हेँ।

अफ़सोस की बात हेँ कि मैं दिवाली की लिए बहुत कुछ खास नहीं कर सकती। अगर मैं घर होती, तो मैं अपनी माँ के साथ पूजा करती, खाना बनाती, वागिरह, वागिरह। लेकिन मैं एक विद्यार्थी हूँ, इसीलिए ये सब कम अकेले करना अच्छा नहीं लगता। लेकिन हा, आज मै भारतीय खाना ज़रूर खाऊँगी!

Sunday, October 26, 2008

मेरे राय चुनाव के बारे में

मैं अपनी राय २००८ अमरीकी "प्रेसिदेंशेल" चुनाव के बारे मैं देती हूँ। मुझे बहुत खुशी होती हें कि ये लगता हें कि "बराक ओबामा" इस चुनाव को जितने वाला हें। "जॉन म्क्कायं" की आभिथान बिल्कुल बेकार हें, खास तोर से, जो "म्क्कायं" चुना हें अपनी साथी की लिए, "सेरा पय्लेन।" "पय्लेन" को बिल्कुल कोई ज्ञान नही हेँ; वह बस सुंदर लगती हेँ और बहुत शोर मचा सकती हेँ। लगता हेँ "म्क्कायं" अपने बुदापन में ठीक से सोच नहीं सकता। अपनी सुंदर बीवी और सुंदर "सेरा पय्लेन" के बगैर उसके पास अब रहे क्या गया? उसको अब ज़रूर जान पद गया हेँ कि वह हारने वाला हेँ तो फिर उसके पास "ओबामा" को गलियां देने की बगैर अब रहे क्या गया हेँ? मुझे लगता हेँ कि "म्क्कायं" का स्वस्थ बिल्कुल अच्छी नहीं हें; इसीलिए अगर वह "प्रेजिडेंट" न बने तो अच्छा रहेगा सब लोगो की लिए। मुझे बहुत उम्मीद हें कि "ओबामा" इस चुनाव वह जेतेगा और बहुत अच्छे से राज करेगा; वह अम्रीका का मन सरे दुनिया में बढाएगा।

Wednesday, October 22, 2008

मेरा सप्ताहांत

मैं अपना छुटी के बारे में और बताती हूँ। शनिवार को मैंने अपने प्रोफ़ेसर से मिली शिकागो में। उन्हों ने मुझे बहुत ज्ञान और सलाह दिया मेरे पदाई के बारे में। उसके बाद मैंने एक और दोस्त से मिली जिसको मैंने बहुत सालो के बाद नहीं देखा। वह एक छात्र हें "नोर्थ्वेस्तेर्ण" विस्वविद्यालय में। मैंने उस से बहुत देर तक बात की। उसके बाद मैंने अपने परिवार से मिली शिकागो के "दोवं तवं" में। तब हम सब शौपिंग गाए. मैंने अपने छोटीसी प्यारी बंजी किल ये एक "परफ्यूम" करीदी। उस के बाद हम सब शिकागो के सब से लोकप्रिय "पिज्जा" खाए। इस "पिज्जा' खाने स मेरा जी भरा क्योंकि मुझे ये पिज्जा बहुत स्वादिष्ट लगती हें और में बहुत खा नहीं सकती हूँ क्योंकि में शिकागो में नहीं रहेती। नेस्न्दाए, मेरा शनिवार बहुत अच्छा रहा।

Tuesday, October 21, 2008

मेरा सप्ताहांत

मैं अपना लंबा "फाल ब्रेक" के बारे में बताती हूँ। मैंने शुक्रवार को ब्रत किया करवा चौथ की लिए और मैंने अपने गाड़ी में शिकागो गए, जहा मेरे ममेरी बहिन रहेती हैं। वाहा मेरी माँ थी करवा चौथ मानाने की लिए, और मेरी मौसी जो भारत से आई थी। दुःख की बात हें कि मैंने शुक्रवार को बहुत ढेर से शिकागो पहुँची। मुझे एन अर्बोर निकलने में एक "ट्रैफिक जम" में फूस गए। इसीलिए मुझे दो घंटे का देर हो गए। जब मैं आए, मेरी ममेरी बहिन, मौसी, और माँ ने पूजा ख़त्म किया था। मुझे रस्ते में बहुत ज़ोर से भूंक लग रही थी। मुझे बहुत ज़ोर से सिर का दर्द भी होरा था। मुझे लग रहा था कि में शिकागो कैसे पहुँच सकुंगी क्योकि मेरा सिर का दर्द इतना भयानक था! करेब नौ बजे मैंने रुखकर एक "काफी" करीदी ताकि में ठीक से पहुँच सकूँ। जब मैं घर आए, तो मैंने पेट भर कर खाया!

Sunday, October 12, 2008

दुचेस फ़िल्म

में दुचेस फ़िल्म के बारे में पुरा बात बताती हूँ। जब दुक को मालूम पडता हें कि अपनी पत्नी का सिलसिला चुल रहा हें, तो वह बहुत ख्रोदित हो जाते हें। वो अपने पत्नी को दुमकी देता हें कि अगर वो अपनी सिलसिला कतम नहीं करती, तो वह उसकी प्रेमी का राज नैतिक का सपना बिगड़ देंगे। और दुक ये भी कहते हें कि दुचेस अपनी बच्चो को नहीं देख पयिगी। दुचेस, ये बात सुन कर बहुत बहुत दुखी हो गए। वह क्या करेगी? और ये बात भी थी कि दुक अपने प्रेमिका को नहीं छोडेगा! तो फिर ये बात थी: दुक किल ये एक नयीम थी, और उसकी पत्नी किल ये दूसरी नीयम थी।

फ़िल्म ये देकाती हें कि दुचेस में कितना आत्मा शक्ति थी। चुकी वह अपने प्रेमी का सपने नहीं बिगारना चाहती थी, और अपने बच्चो से नहीं धूर रहेना चाहती थी, वह अपने पति की बात मन लेती हें। वह अपने घर लोट जाती हें, अपने प्रेमी को समझा लेती हें, और अपना ज़िन्दगी आगे बदा लेती हें।

Saturday, October 11, 2008

दुचेस फ़िल्म

मैंने अभी दुचेस फ़िल्म देखा हें। मुझे ये फ़िल्म बहुत पसंद आए। एस फ़िल्म "खीरा नाइटली" हें और उसने बहुत अच्छा अभिनय किया हें। ये फ़िल्म दो सो सल् पहले इंग्लैंड की कहानी हें। एक "दुचेस" थी और उसका ज़िन्दगी की कहानी बताई गए हें। वो कम उम्र में एक दुक से शादी करती हें; दुक को एक पुत्र बहुत जल्दी चहेते थे अपने अम्पत्ति सौपने किल ये। वो अपने पत्नी को सिर्फ़ एस वजह किल ये शादी किया था। उनकी शादी में बिल्कुल संह या प्रेम नही था। जब दुचेस ने एक लडकी को पैदा दिया, थो दुक बहुत नाराज हुए। वैसे थो, दुक का स्वभाव बहुत करब था। वो सिर्फ लड़का पैदा होने किल ये व्याकुल थे। और ये भी, उनके बहुत सिलसिले चुलते रहेते थे। उन्हों ने अपने एक प्रेमिका को घर में रहेने की इजाज़त दी। खेने की ज़रूरत नही हें कि ये बात दुचेस को बहुत दुःख पहुंचाया, क्योकि ये प्रेमिका उसकी दोस्त थी।

जब वो और बरदास्त नही कर पाए, थो दुचेस ने अपने सिलसिला भी शुरू किया। फ़िल्म ये देकाता हें की जब दुक को ये बात मालूम पडता, थो वो कितना नीच इंसान हें--अपने सिलसिले की बात चोर दो, उसकी पत्नी को किसी तरह से खुश होने का कोई हक नहीं हें....

Monday, October 6, 2008

आईफोन में इतना क्या खास बात हें?

लोग सोचते थे की आईफोन में क्या खास चीज़ होती हें? में भी ऐसी सोचती थी। में सोचती थी, अरे एप्पल बार बार नया चीज़ बना रही हे, इस चीज़ में कुछ खास नहीं हो सकती। मैं बहुत ग़लत थी! मैंने आईफोन अभी लिया हें, और मुझे अभी महसूस होरा हें कि ये चीज़ कितनी अच्छी हें--जो शोर लोग मचा रहे हें, उसमे स्थ हें। अगर आपके पास आईफोन हें, तो आपको बस यही चीज़ आपके साथ लेचलना पड़गा। आईफोन में आप आपना ईमेल देख सकते हें, गाना सुन सकते हें, बात कर सकते हें, वगैरा वगैरा। हाँ, ये बात हें कि अगर आप अपना आईफोन खो दे, तो आपको बहुत नुकसान मिलेगा क्योकि इतने सारे चीजे एक साथ जुडी हुई हें आईफोन में। इसीलिए आपको आपना आईफोन पर बहुत ध्यान देना चाहिए। फिर भी, मुझे मेरी नया खिलौना बहुत बहुत पसंद हें!

Saturday, October 4, 2008

मेरा सप्ताहांत

मैं इस सप्तहांत डी सि में हुँ। मैं अपने पति से मिल रही हुँ। वो सोमवार से अपने वकील का काम शुरु करेगा। मैंने इस ट्रिप पर उसका फ्लैट पहली बार देखा हैं--वो बहुत बड़ा और सुंदर हें। मेरे पति एस फ्लैट में अभी अभी शिफ्ट हुए हे। हम दोनों ने आज शौपिंग गए और उसके फ्लैट किल ये थोड़ा सा सामान खरेदी। मुझे यहाँ बहुत अच्छा लगरा हें क्योकि में भी डी सी में रही हूँ--मुझे यहाँ का कइ खाने के जगे पसंद हें, शौपिंग के जगे, यानि की मुझे डी सी का फेचन हे। और हा, डी सी का मौसम एन आर्बर से बहुत अच्छा हें --अभी यहाँ इतना ठंड नहीं हें। डी सी एन आर्बर से ज़्यादा बड़ा भी हें और इसीलिए भी मुझे ज़्यादा पसंद हे। और फिर भी, मेरे पति तो यहाँ हें!

Thursday, October 2, 2008

भारत और अमरीकी गरीब लोगो की तुलना

हा, मेरे खयाल में हल्कू की तुलना अमरीकी बेघर लोगो से की जा सकती हे। जैसे हल्कू हे, वैसे भी अमरीकी गरीब लोग बहुत मजबूर होते हें। उन सब के पास ज़्यादा विकल्प नहीं होते हें। पैसे बहुत कम रहते हें, और जल्दी हाथ से चूथे हें। जैसे हल्कू हें, वैसे गरीब लोगो का बहुत ऋण होते हे और वे मजबूर होते हे ऋण जुकाने में। गरीब लोगो की अधिकार कोई नहीं मानता। इसीलिए उन सब को बहुत कुछ बरदाश करना पडता हे--जैसे हल्कू की सहना के गालीया खाना पडा। वे जहा भी हो, गरीब लोगो के स्थान ज्यादातर एक जैसे होते हें।
हा, ये बात सच हे की अमरीका में ज़्यादा प्रोग्राम होते हें जो गरीब लोगो की मदद कर सकती हें। भारत को एन जैसे प्रोग्राम को अपनाना चाहिए ताकि गरीब लोगो को कम से कम मोका मिल जाए आपने ज़िन्दगी को सुधरने की।