Thursday, January 29, 2009

बिल्ली या कुत्ता?

जब मैं "जानवरों की शेल्टर" में थी मुझे बहुत खुशी हुई। मुझे जानवरों को बहुत बहुत शोक है. जब में छोटी थी तब मेरे पास एक कुत्ता था जिसका नाम "निक्की" था. मुझे एक जानवर दोस्त होने में बहुत समय बीतगया है, लग-भग दस साल. जब में "शेल्टर" में थी तब मैंने बहुत सारे कुत्तों और बिल्लियों को देखा. मेरा मन है एक कुत्ते लेने के लिए लेकिन मुझे लगता है कि मेरा पास इतना समय नहीं है एक कुत्ते के लिए; मुझे समय नहीं होगा उसको बहार लेने के लिए हर सुबह और हर शाम. और क्योंकि में मंगलवार और गुरुवार को बहुत व्यस्त रहती हूँ, कुत्ते के लिए कोई घर पर नहीं होगा. मैं सोचरी हूँ एक बिल्ली लेने के लिए क्योंकि बिल्लियॉ अपने देख-बाल बहुत करती हैं. वे पेसाब एक डिब्बे की अंदर करते है, और इसीलिए बहार जाने के लिए कोई ज़रूरी नहीं पड़ती हैं. वे ज़्यादा शोर भी नहीं मचाते हैं. इसीलिए मैं बहुत सोचरी हूँ कि मेरे लिए एक बिल्ली लेना अच्छा होगा.

जानवरों की शेल्टर

मुझे एक बिल्ली लेने की बहुत इच्छा है. आज कल मुझे बहुत अकेलापन महसूस होने लगा है और में बहुत सोचरी हूँ की मैं एक चोटी-सी बिल्ली अपना लूँ. मैंने पिछले रविवार को एक जानवरों की "शेल्टर" में गई, जहाँ बिल्लियॉ, कुत्ते, और कई जानवरों आते है जब वे खो जाते हैं, उनके मालिकों उनको उनके देख-भाल और नही कर सकते, agar वे आवारा जानवरों है, वग़ैरह, वग़ैरह. मैं वह गई थी क्योंकि वह बात होरी थी उन लोगों के लिए जो वह मदद करना कहते हैं. वह बहुत सरे लोग थे; मुझे वहां खड़ा होना हुआ क्योंकि बैठने की जगह नहीं थी. वहां एक औरत ने सब लोगों को बताया कि क्या क्या काम हम लोग कर सकते है. एक काम है कुत्तों को घुमाना, एक थी बिल्लियॉ को स्नेह देना, वग़ैरह वग़ैरह. एक कम ये भी थी कि आप अपने घर में एक कुत्ते या बिल्ली को तोड़ी देर के लिए अपने घर में रखे, ताकि उस जानवर को "शेल्टर" से तोड़ा-सा चैन मिले.