Thursday, January 29, 2009

जानवरों की शेल्टर

मुझे एक बिल्ली लेने की बहुत इच्छा है. आज कल मुझे बहुत अकेलापन महसूस होने लगा है और में बहुत सोचरी हूँ की मैं एक चोटी-सी बिल्ली अपना लूँ. मैंने पिछले रविवार को एक जानवरों की "शेल्टर" में गई, जहाँ बिल्लियॉ, कुत्ते, और कई जानवरों आते है जब वे खो जाते हैं, उनके मालिकों उनको उनके देख-भाल और नही कर सकते, agar वे आवारा जानवरों है, वग़ैरह, वग़ैरह. मैं वह गई थी क्योंकि वह बात होरी थी उन लोगों के लिए जो वह मदद करना कहते हैं. वह बहुत सरे लोग थे; मुझे वहां खड़ा होना हुआ क्योंकि बैठने की जगह नहीं थी. वहां एक औरत ने सब लोगों को बताया कि क्या क्या काम हम लोग कर सकते है. एक काम है कुत्तों को घुमाना, एक थी बिल्लियॉ को स्नेह देना, वग़ैरह वग़ैरह. एक कम ये भी थी कि आप अपने घर में एक कुत्ते या बिल्ली को तोड़ी देर के लिए अपने घर में रखे, ताकि उस जानवर को "शेल्टर" से तोड़ा-सा चैन मिले.

No comments: